युद्ध यह विशाल है गड़ी जो मन में नाल है,
एक सदी का बोझ लिए चल रहा जो लाल है।
दीप्ति जिसका भाल है, प्रचंड है कमाल है,
शंख का उद्घोष सुन मन में जिसके काल हैं,
जिस गली से होकर गुजरी रुदन का बखान है,
मृत्यु जिसके चाल से मिला रही जो चाल है।
विमल है विकराल है,
तेज उसके मुंह पर जैसे स्वयं महाकाल है,
युद्ध यह विशाल है गड़ी जो मन में नाल है,
एक सदी का बोझ लिए चल रहा जो लाल है।
- आलोक दुबे
एक सदी का बोझ लिए चल रहा जो लाल है।
दीप्ति जिसका भाल है, प्रचंड है कमाल है,
शंख का उद्घोष सुन मन में जिसके काल हैं,
जिस गली से होकर गुजरी रुदन का बखान है,
मृत्यु जिसके चाल से मिला रही जो चाल है।
विमल है विकराल है,
तेज उसके मुंह पर जैसे स्वयं महाकाल है,
युद्ध यह विशाल है गड़ी जो मन में नाल है,
एक सदी का बोझ लिए चल रहा जो लाल है।
- आलोक दुबे
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